डायमर- भाषा बांध
हाल ही में पाकिस्तान और चीन सरकार द्वारा डायमर भाषा बांध ; जिसका बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के बाल्टिस्तान में स्थित होगा , के प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर हुए है
और यह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (( कोहिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान के डायमर जिले के बीचो बीच सिंधु नदी )जो अभी pok में स्थित है ) पर स्थित होगा | इस योजना में चीन निवेश करेगा
- बांध लगभग 8 मिलियन एकड़ फ़ीट और 272 मीटर ऊंचाई का होगा |
- दुनिया का सबसे लम्बा रोलर कॉम्पैक्ट कंक्रीट बांध होगा |
- इसमें मुख्या बांध तथा 21MW की जलविधुत परियोजना का निर्माण व कुछ अन्य प्रोजेक्ट शामिल है |
पकिस्तान ने इस बहुउद्देशीय परियोजना को प्रमुख घटको में विभाजित करने का निर्णय लिया गया है |
- बांध का निर्माण सार्वजानिक क्षेत्र के वित्तपोषण द्वारा किया जाएगा
- जबकि ऊर्जा परियोजना परियोजना का निर्माण ' सवतंत्र बिजली उत्पादक ( independent power producer - IPP ) मोड में विकसित किया जाना है
- प्रोजेक्ट को पाकिस्तान में वर्ष 2010 में मंजूरी दे दी गयी थी ,लेकिन अंतर्राष्ट्रीय एजेंसिया जो प्रोजेक्ट को वित्तपोषित कर रही थी भारत के विरोध के कारन पीछे हट गयी
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यह भारत के लिए चिंता का विषय क्यों है ?
- डायमर भाषा बांध का कुछ क्षेत्र गिलगित बाल्टिस्तान यानि अधिकृत कश्मीर ( POK ) भारत में पड़ेगा
- चीन इस प्रोजेक्ट को ' chin Pakistan आर्थिक गलियारा ' ( China Pakistan Economic Corridor ) में शामिल करना चाहता है
- जम्मू कश्मीर में चीन द्वारा बारबार दखल दिया जा रहा है | भारत तथा पाकिस्तान के मध्य हस्ताक्षरहित सिंधु जल समझौते में चीन लगातार तीसरा पक्षकार बनने की कोशिश कर रहा है |
भारत को ऐसे समय में क्या करना चाहिए
भारत ने अभी सिंधु जल समझौते में आवंटित पश्चिमी नदियों ( झेलम , चिनाब ,सिंधु ) में हिस्से का पूरी तरह से दोहन नहीं किया है |
भारत को POK था गिलगित बाल्टिस्तान में अपनी सम्प्रभुता के दावे को मजबूती से रखना चाहिए |
सिंधु प्रणाली
सिंधु प्रणाली में मुख्यता: सिंधु ,झेलम , चिनाब , रावी ,व्यास ,और सतलज नदिया शामिल है इन नदियों के बहाव वाले क्षेत्र को मुख्यता भारत और पाकिस्तान साझा करते है |
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